विश्लेषकों ने भारतीय रिजर्व बैंक-आरबीआई पर मार्च 2025 तक ₹1 ट्रिलियन तक की तरलता बैंकिंग प्रणाली में पुनः इंजेक्ट करने का दबाव बनाए रखा है, जिससे सिस्टम में पाई जा रही ₹1.7 ट्रिलियन की कमी दूर हो सके। जब से जनवरी मध्य में आरबीआई ने तरलता एडजस्ट कर दी है, तब से उसने कई उपाय अपनाए—including ₹1.39 ट्रिलियन की सरकारी बॉन्ड खरीद, ₹440 अरब का डॉलर–रुपया स्वैप, और लंबे-समय के रेपो संचालन। लेकिन इस कमी का बढ़ना संकेत देता है कि अब भी प्रणाली में स्थिरता लाने के लिए और कदम उठाए जाने की ज़रूरत है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि RBI को ओपन मार्केट ऑपरेशंस बढ़ानी चाहिए, NRI जमाओं में वृद्धि करनी चाहिए, और मैच्योर हो रही रेपो को दोबारा से जारी करना चाहिए। इसके अलावा, केंद्रीय बैंक को दैनिक फिक्स्ड फंडिंग विंडो या संचालन लक्ष्य के रूप में SORR जैसी नीतिगत ढांचा अपनाने पर भी विचार करना चाहिए, ताकि FY26 में क्रेडिट ग्रोथ और आर्थिक संतुलन में तेजी लाई जा सके।
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